Monday, June 23, 2014

"कोई वापिसी है क्या??"


उन लम्हों में
इतनी तेज़ी थी
जैसे बयार बह कर 
कहीं गुमशुदा हो गयी हो....

जिन्हे थामने की कोशिश में
मैं खुद पत्तो की तरह
सफर में दूर निकल आई हूँ....

कहो !
कोई वापिसी है क्या ?
अब मेरे लिए !!!

 रचनाकार : परी ऍम "श्लोक"

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