सुनो ! इक पैगाम लिखूंगी जाते जाते.....
उसमें दुआ सलाम लिखूंगी जाते जाते....
दरिया कि प्यास.....सेहरा कि तलाश....
कई तजुर्बा इक साथ लिखूंगी जाते जाते....
चाँद का फीकापन...रात का गूढ़ापन....
शहद में नीम का अवसाद लिखूंगी जाते जाते....
आस्मां के दिल पे..सूरज के माथे पे.....
लहर पे अपना नाम लिखूंगी जाते जाते.....
आधी कहानी..कमाई हुई ठोकरे..तोहमते....
अपने दिल कि हर जुबान लिखूंगी जाते जाते....
आँगन..छत..कमरा...रोशनदान लिखूंगी जाते जाते....
टूटे घर कि ईंट और दीवार लिखूंगी जाते जाते.....
शहर..गली..चोराही कि चर्चा.. इंतज़ार में बीते वो दिन..
मोहोब्बत कि आग़ोश में ढली वो शाम लिखूंगी जाते जाते....
पड़े जो आबले सीने में मोतबर कि ख्वाइश के सफर में...
जिंदगी का हर हाल-ए-बयान लिखूंगी जाते जाते....
वफ़ा का इनाम..प्यार का अंजाम..गुल-ए-गुल्फ़ाम...
हर नशे का नुक्सान लिखूंगी जाते जाते.......
____ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक' ___
उसमें दुआ सलाम लिखूंगी जाते जाते....
दरिया कि प्यास.....सेहरा कि तलाश....
कई तजुर्बा इक साथ लिखूंगी जाते जाते....
चाँद का फीकापन...रात का गूढ़ापन....
शहद में नीम का अवसाद लिखूंगी जाते जाते....
आस्मां के दिल पे..सूरज के माथे पे.....
लहर पे अपना नाम लिखूंगी जाते जाते.....
आधी कहानी..कमाई हुई ठोकरे..तोहमते....
अपने दिल कि हर जुबान लिखूंगी जाते जाते....
आँगन..छत..कमरा...रोशनदान लिखूंगी जाते जाते....
टूटे घर कि ईंट और दीवार लिखूंगी जाते जाते.....
शहर..गली..चोराही कि चर्चा.. इंतज़ार में बीते वो दिन..
मोहोब्बत कि आग़ोश में ढली वो शाम लिखूंगी जाते जाते....
पड़े जो आबले सीने में मोतबर कि ख्वाइश के सफर में...
जिंदगी का हर हाल-ए-बयान लिखूंगी जाते जाते....
वफ़ा का इनाम..प्यार का अंजाम..गुल-ए-गुल्फ़ाम...
हर नशे का नुक्सान लिखूंगी जाते जाते.......
____ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक' ___
No comments:
Post a Comment
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!