अभिव्यक्ति में तुम्हारी
वो असर जीवित नहीं होगा
जब तक मैं....
कथनी के जिस्म में सांस न भर दूँ ....
मिलेंगे नहीं तुम्हे बोल के आलोक
जब तक मैं....
तुम्हारे मन कि देहरी में नहीं जलूँगी..
मेरी समाप्ति तुममे
तुम्हारे अस्तित्व का अंत कर देगा
मुझे सम्भालो तुम आदर सहित
क्यूंकि मैं सबके पास नहीं
केवल तुम तक चल के आई हूँ
तुम्हारा सोच मुझे निखारेगा
मेरा निखार तुम्हे चमका देगा
कलम से निकला तीर हूँ
भेदूंगी ह्रदय समय-समय पर
आवाज़ का आकर्षण हूँ
खींच लूंगी सबको...
किसी छल-कपट के बिना
अपनी निष्ठां और सत्य के दम पर !!!!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
वो असर जीवित नहीं होगा
जब तक मैं....
कथनी के जिस्म में सांस न भर दूँ ....
मिलेंगे नहीं तुम्हे बोल के आलोक
जब तक मैं....
तुम्हारे मन कि देहरी में नहीं जलूँगी..
मेरी समाप्ति तुममे
तुम्हारे अस्तित्व का अंत कर देगा
मुझे सम्भालो तुम आदर सहित
क्यूंकि मैं सबके पास नहीं
केवल तुम तक चल के आई हूँ
तुम्हारा सोच मुझे निखारेगा
मेरा निखार तुम्हे चमका देगा
कलम से निकला तीर हूँ
भेदूंगी ह्रदय समय-समय पर
आवाज़ का आकर्षण हूँ
खींच लूंगी सबको...
किसी छल-कपट के बिना
अपनी निष्ठां और सत्य के दम पर !!!!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
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