उस मिड्ल क्लास लड़की को शायद ज्यादा समझ मे आती होगी जिंदगी क्या है? जो मैं समझने की कोशिश करूं तो समझ भले ही लूँ लेकिन महसूस करने मे चूक जौउँगी ! सुबह से ही शुरू हो जाती है उसकी मेहनत तब तक तो सूरज भी अपनी आंखे नहीं खोलता की वो अहम काम निपटा लेती हैं ! घर कि रसोई से बाजार कि मंडी तक और ऑफीस कि फाइल मे उलझी फसी उसकी दिनचर्या और किताबो में गश्त खाती और अगले दिन का टाइम टेबल बनाते बीत जाती है उसकी रात..... !
ऐसी ही है मेरे ऑफीस मे क्लर्क का काम करने वाली 'सुलेखा' जीवन की तमाम मुश्किलो के बाद भी अपनी पढ़ाई ज़ारी किये हुए हैं साथ ही पूरे घर की जिम्मेदारी अपने काँधे पे उठाये हुए बिना किसी शिकन किसी अफ़सोस के जीवन की उतार-चढ़ाव का सामना करती है ! पिता का साया बचपन में ही सर से उठ गया था शायद वो कैंसर की ग्रसित थे अब घर मे तीन छोटी बहने और बूढी माँ है ! जिनकी देखभाल सुलेखा ही है.… उसे कोई पीज़ा..बर्गर..का शौक नहीं कहीं घूमने की कोई बात नहीं..कोई शॉपिंग का ख्याल नहीं जब भी करती है तो बस मेरी बहन को ये डिग्री करवानी है उसको ज्यादा पढ़ाना है घर मे ये करना है वो करना है माँ को दवाई दिलवानी है कुछ ऐसी ही बाते !
कितना सोचती है वो इतने कामो उलझनो के बीच भी नहीं डगमगाते उसके कदम ! बेशक वो बहुत मज़बूत है ! मात्र तीन सूट है उसके पास लेकिन वो भी उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा देते हैं ! सैलरी आने से पहले कितनी प्लानिंग करती है फिर सॅलरी आते ही सोचने लगती है की छोटी बहन का इस बार अड्मिशन करवाना है..... राशन भरवाना है..... कमरे का किराया देना है..... बिजली का बिल भरना है..... किताबे लानी है ऐसे कई काम और फिर से रह जाती है धरी की धरी उसकी प्लानिंग ! महीना खतम नहीं होता की उसकी सॅलरी खतम हो जाती है बाकी १० दिन महीने के बिना पैसे कैसे काटती होगी वो लड़की उससे बेहतर कौन जानेगा ?
उसके चहरे पर फैली मुस्कान कभी जाहिर नहीं होने देती उसकी दशा और वो अपनी इसी क्षमता से परास्त कर देती हैं उसके रास्ते मे आने वाली तमाम मुश्किलात ! शायद बहुत करीब से देख पा रही है वो जिंदगी हर तजुर्बा कमाती जा रही बीतते वक़्त के साथ अपनी उम्र से ज्यादा सीख पा रही है और मैं देखती रह जाती हूँ उसके जीने के तरीके को फिर मन कहता है जाकर कह दूँ मिडिल क्लास लड़की के हौसले को मेरा सलाम !!
________लेखिका : परी ऍम 'श्लोक'
ऐसी ही है मेरे ऑफीस मे क्लर्क का काम करने वाली 'सुलेखा' जीवन की तमाम मुश्किलो के बाद भी अपनी पढ़ाई ज़ारी किये हुए हैं साथ ही पूरे घर की जिम्मेदारी अपने काँधे पे उठाये हुए बिना किसी शिकन किसी अफ़सोस के जीवन की उतार-चढ़ाव का सामना करती है ! पिता का साया बचपन में ही सर से उठ गया था शायद वो कैंसर की ग्रसित थे अब घर मे तीन छोटी बहने और बूढी माँ है ! जिनकी देखभाल सुलेखा ही है.… उसे कोई पीज़ा..बर्गर..का शौक नहीं कहीं घूमने की कोई बात नहीं..कोई शॉपिंग का ख्याल नहीं जब भी करती है तो बस मेरी बहन को ये डिग्री करवानी है उसको ज्यादा पढ़ाना है घर मे ये करना है वो करना है माँ को दवाई दिलवानी है कुछ ऐसी ही बाते !
कितना सोचती है वो इतने कामो उलझनो के बीच भी नहीं डगमगाते उसके कदम ! बेशक वो बहुत मज़बूत है ! मात्र तीन सूट है उसके पास लेकिन वो भी उसकी खूबसूरती को चार चाँद लगा देते हैं ! सैलरी आने से पहले कितनी प्लानिंग करती है फिर सॅलरी आते ही सोचने लगती है की छोटी बहन का इस बार अड्मिशन करवाना है..... राशन भरवाना है..... कमरे का किराया देना है..... बिजली का बिल भरना है..... किताबे लानी है ऐसे कई काम और फिर से रह जाती है धरी की धरी उसकी प्लानिंग ! महीना खतम नहीं होता की उसकी सॅलरी खतम हो जाती है बाकी १० दिन महीने के बिना पैसे कैसे काटती होगी वो लड़की उससे बेहतर कौन जानेगा ?
उसके चहरे पर फैली मुस्कान कभी जाहिर नहीं होने देती उसकी दशा और वो अपनी इसी क्षमता से परास्त कर देती हैं उसके रास्ते मे आने वाली तमाम मुश्किलात ! शायद बहुत करीब से देख पा रही है वो जिंदगी हर तजुर्बा कमाती जा रही बीतते वक़्त के साथ अपनी उम्र से ज्यादा सीख पा रही है और मैं देखती रह जाती हूँ उसके जीने के तरीके को फिर मन कहता है जाकर कह दूँ मिडिल क्लास लड़की के हौसले को मेरा सलाम !!
________लेखिका : परी ऍम 'श्लोक'
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