Saturday, December 14, 2013

मृत्यु से पहले


चलती रहूंगी मैं निरंतर

साँसे जब तक खींचती ले चलेंगी

मंज़िल ध्वस्त हो कर गिर गया है

अब रास्ते पर हूँ

कोई अंत नहीं रास्ते का मालूम है.........

परन्तु ये जिंदगी है शिकवा कितना भी हो 

लुट कुछ भी जाए....

रुकना नहीं है

मृत्यु से पहले!!


रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 14/12/2013

No comments:

Post a Comment

मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!