चलती रहूंगी मैं निरंतर
साँसे जब तक खींचती ले चलेंगी
मंज़िल ध्वस्त हो कर गिर गया है
अब रास्ते पर हूँ
कोई अंत नहीं रास्ते का मालूम है.........
परन्तु ये जिंदगी है शिकवा कितना भी हो
लुट कुछ भी जाए....
रुकना नहीं है
मृत्यु से पहले!!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 14/12/2013
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