Monday, December 30, 2013

!!कहावतो के तौर पर!!


सुना है!
प्यार से ऊपर कुछ भी नहीं
वोही सर्वश्रेष्ठ है सबसे विशाल
पुरे कायनात पर कवच पहनाये हुए है
तोला-मोला नहीं जाता,
काटा छाटा नहीं जाता,
बटवारे कि चीज़ नहीं
भ्रम तो नहीं पाल रहे
मुझमे,तुममे और सबमे....

क्यूंकि मेरा ज्ञान विपरीत बोलता है
व्यंग कसता है जिन बातो का
कोई मूल नहीं उनपर..
ये तजुर्बा भी तुमबिन
कहाँ मुमकिन था

शुक्रिया ना!
मुझे इतना बताने का
माफ़ी कि चोटी से नीचे है
इस पर्वत कि ऊंचाई..
 
लेकिन फिर वही बात
आखिर इसे सर्वश्रेष्ठ कहा ही क्यूँ?
कितनी भ्रामक बाते करते हैं लोग
सच गायब कर देते है
अपनी बातो को ऊपर करने के लिए

अपनी घटना निहित कर देते हैं
कहावतो के तौर पर..

 


रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
 

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