Sunday, December 1, 2013

मेरी दुविधा

 
अजब सी दुविधा आन पड़ी है?
दर्पण में चेहरा मेरा है
किन्तु उसके मुख पर पहेली,

जिसने मुझे मुझमे ही उलझा के रख दिया है!

खोज में हुँ आज मैं, मेरे ही अस्तित्व के 

सोच रही हुँ कि आखिर क्या हूँ मैं?

एक नाम या शरीर या फिर कोई अलग पहचान?

जो तुमने बताया वो मेरा चरित्र है?

या जो आत्मा गवाही दे रही है वो?

मेरा स्वरुप मेरी शक्ति है,,या हीनता?

संत्रास उबल उठा है मुझमे खुद को पा लेने कि

सोच रही हूँ मैं किसके लिए ज्यादा महत्वपूर्ण हूँ?

तुम्हारे लिए.......या स्वयं के लिए.......

इस प्रश्न का जवाब देगा कौन?
तुम, मैं या फिर समय?
 
सोचती हूँ अब इंतज़ार करूँ

ये जानने के लिए कि आखिर कौन हुँ मैं?
 
 
 
 

 
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'


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