जिंदगी कि और
क्या औकात है
यारो,,
जिंदगी कि और
क्या औकात है
यारो,,
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
Date : 25 oct 2008
कभी ख़ुशी कभी
गम यही बात
है यारो,
किसी को मिलती
हैं दर-बदर
कि ठोकरे,
किसी के लिए
बुलंदियाँ जहान कि
यारो,
कोई रोये तो
आंसुओ को पोछने
के खातिर नहीं
कोई,
किसी कि खुशियो
में शामिल पूरी
जमात है यारो,
कोई ख़ाक हो
गया नफरत कि
आग में
किसी के घर
में इश्क़ की
बरसात है यारो,
दिल में किसी
के उलझे हुए
कैद राज कई
हैं,
किसी का मन
आईने सा साफ़
हैं यारो,
हर दिन सिखाती
हैं नए-नए
से तजुर्बे,
इस इम्तिहान में कोई
फेल, कोई पास
हैं यारो,,
चलता रहा कोई
जहन के इशारो
पे ता-उम्र,
किसी को ढेर
बना गया बावला
बड़ा जस्बात हैं
यारो,
किसी के सर
पे ताश-पोषियां
मुकम्मल तो
कोई इनकी आरज़ू
में बर्बाद हैं
यारो,,
कोई भूल जाता
हैं जिंदगी के
चंद "श्लोक"
किसी को जिंदगी
का हर पहलु
याद हैं यारो,
कहने को मसले
हैं कुछ रह
गए, कुछ छूट
गए..
मसलन इतना ही
समझ अबतक जिंदगी
का मेरे साथ
हैं यारो,,
कभी ख़ुशी कभी
गम यही बात
है यारो,
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
Date : 25 oct 2008
No comments:
Post a Comment
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!