Monday, December 23, 2013

पुरुषो तुम परमेश्वर बनोगे??


मेरे पास ऑफर है
बताओ !
पुरुषो तुम परमेश्वर बनोगे?? 

ज्यादा कुछ नहीं करना
मुश्किल है मगर बहुत आसान भी...
एक सामान है तुम्हारे घर में
अरे ! यही कहते हो ना औऱत को तुम?
जो करवाचौथ का व्रत कर
तुम्हे परमेश्वर बना पूजती है
जान है उसमे, वो हंसती है
अपने अंदर तमाम दर्द समेट कर भी
प्रताड़ित होती है रह-रह कर
पर बहुत भुलक्कड़ है भूल जाती है
उसकी भवानो को समझना शुरू करो
उससे इंसान सा बर्ताव करो..
सामान सा नही!

अच्छा याद है बूढी माँ?
आश्रम में छोड़ आये हो जिसे
कल रो रही थी तुम्हे याद करके
उन्हें घर ले आओ बहुत जरुरत हैं उन्हें तुम्हारी.
बन जाओ एक आदर्श बेटा
जिसकी कल्पना कि थी उन्होंने
उनकी सेवा करो बिलकुल वैसे
जैसे बचपन में उन्होंने किया था
बूढी आँखे भर दो ख़ुशी से!!

लगातार कई वर्षो से
गली से गुजरती बेटियो पर गन्दी दीद है तुम्हारी
मैंने छिपकर देखा है तुम्हारी नीयत को
हरकत को आँका है
जब गुड़िया जाती है तो 'अपशब्द' बोलते हो
जब चंचल गुजरती है तो 'छेड़ते' हो..
हमारे लिए सबसे बड़ा है “मान”
तुम सीधा उसपर निशाना साधते हो
औरत का केवल शरीर देखते हो ना??

तुम आदमी हो आदमी कि तरह रहो
हैवान मत बनो..
बस एक अच्छा इंसान बन जाओ..
ताकि हम अंधेरे में भी निकल सके
बिना किसी डर के,
हम एतबार कर सके...
बिना किसी शर्त!

यही मेरा ऑफर है
कुछ शर्तो के साथ..... 

अब बताओ !
पुरुषो तुम परमेश्वर बनोगे?

रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
dated : 24/12/2013
 

3 comments:

  1. bahut khoob pari j i
    bahut achcha likhti hain ap

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  2. wah kya bat hai pari ji. behad sarthak aur sundar shabdo ke sath gahra sandesh..

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  3. सुन्दर भावों से सजी रचना !!

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