मेरा हुंकार औरत
का मान,,
औरत विषय, औरत पहचान
फूल सी मासूम बच्ची
से लेकर
ब्याही औरत हो या
बिटिया जवान,
मेरा हुंकार औरत
का मान...
घरेलु हिंसा से
पीड़ित आहत,
दहेज़ के लिए कई
बलि चढ़ी
कहीं बच्चा न होने
का ताना,
कहीं बेटी पैदा
करने के लिए ताना कसी गयी
घर से लेकर बाहर
तक
गन्दी नियत का होती
शिकार..
मेरा हुंकार औरत
का मान...
आज समस्या बन पड़ी
है
अस्मिता औरत कि
समझते हैं सब थूक दान
नौकरी के नाम पर
तो कभी पदवृद्धि
के लिए रोंदी गयी
कहीं मजबूरिओं के
खातिर हुई पायदान
आज दरिंदे घूम रहे
हैं,
मोटर बाइक पर होकर
सवार
लगता हैं भय रातो
से,
दिन में गली कूंचा
जो दिखे सुनसान,
छेड़-छाड़ भद्दी फब्तियां,
सुन सुन पाक जाते
हैं कान
मेरा हुंकार औरत का मान..
औरत विषय, औरत पहचान
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