Monday, December 2, 2013

अरे!


अरे! ये तो वही सर्दिओं का मौसम है,
मुझे याद आया अचानक वो दिन,,
एक मणि मिला था मुझे अनमोल बहुत,
सबने नज़रे गाड़ी हुई थी उस पर,
बहुत सम्भाला मैंने,
कुछ चंद दिन शेष थे,
फिर उसकी सालगिरह मानती,
किन्तु उससे पहले ही
एक जंगली सांप ने आकर निगल लिया उसे!!!!!

रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
7/11/2013

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