ढेरो बाते करते हो
और फिर
अंत में कहते हो
"चलता हूँ"!
जानते हो कैसा प्रतीत होता है?
मानो किसी ने लू में
आग लगा दी हो
या उम्मीदो को तम्बाकू सा
हथेलियो में रख के मसल दिया हो!
फिर तुम्हारे जाने के बाद से ही
हो जाता है
सब कुछ एकदम सूना
कुछ पल तो
यकीन कर पाना ही मुश्किल होता है
कि तुम चले गए हो.....
कई दिन तक डूबी रहती हूँ मैं
तुम्हारे साथ बिताये उन लम्हो के समंदर में
अक्सर तुम्हारी तस्वीरो से मुखातिब रहना
उन्ही पार्को में, चर्चो में, मंदिरो में
बार बार जाना कि शायद! तुम यहाँ मिलो
फिर एकदम एकांकी में दौड़ जाना
अजीबो-गरीब सी हालत हो रही है मेरी!
भीड़ में तुम्हारा चेहरा आँखों में लिए
खोजते रहना हर आने-जाने वालो में तुम्हे
तुम्हारी बाते करना, तुम्हारे ख़त पढ़ना
तुम्हारे पसंद के
गुलाबी रंग के कपड़े पहनना
रात को नींदो से गुजारिश करना कि
ख्वाबो में तुम्हे ढूंढ के
कहीं से भी ले आये!
लम्बी परछाई देख तुम्हे आंकना
वो गीत गुनगुनाना
जो तुम्हे सबसे ज्यादा पसंद है
तुम्हारे आने का इंतज़ार करना
ये जानते हुए भी कि तुम नहीं आओगे !
ये सब क्या है आखिर?
मेरे मन में तुम्हारे नाम से
एक अज़ीब सी लहर उमड़ पड़ती है
धड़कने रफ़्तार में हो चलती है
तुम्हारा हाथ भर पकड़ लेने से
ये इतना अलग क्यूँ है?
क्या नाम दूँ इसे?
क्या कहते हैं ? बताओ ना!
मुझे आभास होने लगा है
जानते हो क्या?
हो न हो ये जुदा सा एहसास ही......... मोहोब्बत है!!
रचनाकार: परी ऍम 'श्लोक'
No comments:
Post a Comment
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!