Tuesday, December 24, 2013

ये हिंसा क्यूँ??

चला परदेस से अपने देश
ट्रैन जल्दी चल...

टेलेफोन नहीं किया
सरप्राइज दूंगा...
राजू, रहीम, खुशबु, काका, बाबा सबको
ट्रैन जल्दी चल...

कुछ घंटे का अंतराल
लो ट्रैन पहुंची मुजफ्फरनज़र
मैं उतरा
बढ़ा
निकला स्टेशन से बाहर..
कोई न था वहाँ..सब सुनसान था..
पुलिस वाला बोला बंद है आज
हिंसा हुई है हिन्दू-मुस्लिम दंगा..
मैं दो कदम पीछे हटा..
फिर बढ़ा आगे...
मौहल्ले में पहुंचा
सब सुनसान
घर पहुंचा सबसे पहले
अज़ीज़ लंगोटिया यार रहीम कि खबर पूछी..
बाबा बोलते मार दिया साले को

मै रोया और क्या करता??
फिर खुशबु को पूछा..
बाबा बोले रहीम ने खुशबू का रेप कर जान लेली
पर वो तो बहन कहता था खुशबु को

फिर पूछा हिंसा का कारण क्या था?
बाबा बोले सलीम ने कमल को थप्पड़ मारा था..

दो अलग कौम के नासमझ बच्चो कि लड़ाई ने
मजहबी हिंसा कि शक्ल ले ली थी...
.
मैंने खो दिया
अपना दोस्त, अपनी बहन,
पाया कभी न मिटने वाला नासूर जख्म...

सवाल ये कि आखिर
हम इतने हिंसक क्यूँ हैं?
हम हैं क्या असल में ??
इंसान हैं ?
या फिर हिन्दू?
मुस्लिम?


रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 24/12/2013


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