Friday, February 7, 2014

"उम्मीद"

उम्मीद हूँ मैं
यदि तुम न मारो
तो मर नहीं सकती
जीत हूँ मैं
हारना नही सीखा मैंने..
मैं साथ हूँ तुम्हारे
दृढ़ विशवास के निष्ठां के
तुम राह पर चलो
मंज़िल को सोच कर
तुम नींद में सोओगे
तो मैं जाग कर पहरा दूंगी
ताकि कोई तुम्हारे स्वप्न कि
हत्या करने का साहस न करे
बस तुम मुझे मित्र बना लो
हाथ कदापि न छोड़ूंगी
ताकत को कई गुना कर दूंगी  
बदल दूंगी तुम्हारे साहस से
निश्चय ही स्वप्न को यथार्थ में
जब तक मैं चलूंगी
तुम्हे रुकने न दूंगी
थकने भी न दूंगी 
मैं साथ हूँ तुम्हारे हर मुश्किल में
हर तूफ़ान में थामने को तुम्हे
उड़ती हूँ मैं अर्श में
बंज़र ज़मीन को लहलहा सकती हूँ
सूखा ताल लबालब कर सकती हूँ
किन्तु मुझे आधार चाहिये
रहने के लिए स्थान चाहिए
तुम मुझे जगह दो
मैं तुम्हे ओढ़ लुंगी
झुका दूंगी जीत को तुम्हारे कदमो में
बिछा दूंगी सितारे तुम्हारे रास्ते में
दीप कि तरह प्रज्वलित रहूंगी
और देती रहूंगी उजाला
हर क्षण पीड़ा को मद्धम कर
मुझे छोड़ना मत कभी
उम्मीद हूँ मैं चलती हूँ हथेलिओं में लेकर जीत कि मशाल!!

रचनाकार : परी ऍम श्लोक

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