गम को रोशनी कि ज़रूरत है
बशर्ते हम जलके अहसान कर रहे हैं
हमारे पास कुछ तो है तसल्ली के लिए
जो कंगाल हैं वो भी गुमान कर रहे हैं
सच तेरा दम घुटता तो होगा बहुत
झूठ वाले मुनाफे में दूकान कर रहे हैं
बदलते दौर में बदलते तेवर ज़माने के
कोई हो न हो मगर मुझे हैरान कर रहे हैं
लिपे-पुते चेहरे अदाओ का रंगीं लिबास
'श्लोक' ये मुझको भी बेजुबान कर रहे हैं
अपनी कश्ती को खुद ही डुबोके
नादान जंग का ऐलान कर रहे हैं
वादा किया था कुछ बेहतरीन लिखेंगे
हर्फ़ तबसे मुझे परेशान कर रहे हैं
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
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