जीवन लय पे
हर अक्स
नृत्य कर रहा है!
बदल जाता है तो
सिर्फ संगीत के बोल
जो कभी मोह लेते हैं
तो कभी चीखो कि तरह
प्रतीत होते हैं...
हताश
और
मज़बूर कर देते हैं
थम जाने को !
लेकिन ऐसा कहाँ होता है?
साँसों कि गिटार
धड़कनो को
धम-धमाने लगता है
बेशक चाह समाप्त हो जाए
पर जब तक गिटार कि
तार नही टूटती
कुछ भी नही रुकता
न जिंदगी कि लय
न ही नाचता हुआ अक्स!!!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
हर अक्स
नृत्य कर रहा है!
बदल जाता है तो
सिर्फ संगीत के बोल
जो कभी मोह लेते हैं
तो कभी चीखो कि तरह
प्रतीत होते हैं...
हताश
और
मज़बूर कर देते हैं
थम जाने को !
लेकिन ऐसा कहाँ होता है?
साँसों कि गिटार
धड़कनो को
धम-धमाने लगता है
बेशक चाह समाप्त हो जाए
पर जब तक गिटार कि
तार नही टूटती
कुछ भी नही रुकता
न जिंदगी कि लय
न ही नाचता हुआ अक्स!!!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
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