विकासशील देश 'भारत'
पढ़ा था मैंने ये तो
जब मैं छोटी थी
और बड़े होते होते
मैंने देश के कई कोने में
खासकर महानगरो में
विकास कैसे हुआ? ये भी देखा
परन्तु ऐसे ही
विकास कि तलब मुझे
मेरे शहर मेरे गाँव में भी देखनी थी
बहुत दिनों बाद मैं उत्तर प्रदेश गयी
और वहाँ विकास का दृश्य देखा
जानते हो क्या ?
विकास पिछड़ेपन का,
विकास प्रधान से लेकर नेताओ तक
केवल अपनी जेब को भरने का
विकास लालच का, फर्जीवाड़े का
विकास हिंसात्मक घटनाओ का,
विकास गुंडागर्दी और दादागिरी का
मानसिकता आज भी पिछड़ी सी है
वहाँ अपराध एकदम मूक रहता है
केवल वहाँ वो सड़के दुरुस्त हैं
जहाँ किसी नेता का घर है या रास्ता है
साकिस्त और धूल से लतपथ है
मेरे घर कि और जाने वाला रास्ता आज भी
बत्ती के लाइट पोल मुझे उम्मीद है
कि आने वाले कई पुश्तो तक भी
कोई देख नहीं पायेगा
और
कई ऐसे मामलो का विकास
जिसका उस सफ़र में शायद !
कहीं अनुमान लगा पाने में चूक रही...
चिंता कुछ ही पल में बढ़ गयी
और जाने क्यूँ ?
इक तकलीफ ह्रदय में मस्तिष्क में
आर-पार होती रही नम हो गए नैन
इतना अच्छा विकास
हा हा हा हा हा हा हा.......
क्या कहीं किसी और जगह
ऐसा विकास हुआ होगा ?
जैसा कि मेरे राज्य का हुआ है !!!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
पढ़ा था मैंने ये तो
जब मैं छोटी थी
और बड़े होते होते
मैंने देश के कई कोने में
खासकर महानगरो में
विकास कैसे हुआ? ये भी देखा
परन्तु ऐसे ही
विकास कि तलब मुझे
मेरे शहर मेरे गाँव में भी देखनी थी
बहुत दिनों बाद मैं उत्तर प्रदेश गयी
और वहाँ विकास का दृश्य देखा
जानते हो क्या ?
विकास पिछड़ेपन का,
विकास प्रधान से लेकर नेताओ तक
केवल अपनी जेब को भरने का
विकास लालच का, फर्जीवाड़े का
विकास हिंसात्मक घटनाओ का,
विकास गुंडागर्दी और दादागिरी का
मानसिकता आज भी पिछड़ी सी है
वहाँ अपराध एकदम मूक रहता है
केवल वहाँ वो सड़के दुरुस्त हैं
जहाँ किसी नेता का घर है या रास्ता है
साकिस्त और धूल से लतपथ है
मेरे घर कि और जाने वाला रास्ता आज भी
बत्ती के लाइट पोल मुझे उम्मीद है
कि आने वाले कई पुश्तो तक भी
कोई देख नहीं पायेगा
और
कई ऐसे मामलो का विकास
जिसका उस सफ़र में शायद !
कहीं अनुमान लगा पाने में चूक रही...
चिंता कुछ ही पल में बढ़ गयी
और जाने क्यूँ ?
इक तकलीफ ह्रदय में मस्तिष्क में
आर-पार होती रही नम हो गए नैन
इतना अच्छा विकास
हा हा हा हा हा हा हा.......
क्या कहीं किसी और जगह
ऐसा विकास हुआ होगा ?
जैसा कि मेरे राज्य का हुआ है !!!
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
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