Wednesday, February 26, 2014

“दोराहे पर जिंदगी”


तुम दोराहे पर हो
ऐसे में इक राह
छोड़ना ही है तुम्हे
तुम्हे दो राहें अपना सकती हैं
मगर तुम दो राहो पर
जा नहीं सकते..
तुम्हारे कदमो में इतना फैलाव नहीं
जो दो राहो को इक साथ नाप सके

तुम फैसला लो
किस और तुम्हे मुड़ना है
फिर पीछे मत हटना
क्यूंकि तुम पीछे हुए तो
धकेल दिए जाओगे ओर बहुत पीछे
जो राह तुमने छोड़ा है
उसपे कई और मुसाफिर चल पड़े हैं
जो तुम्हे यकीनन आगे नहीं जाने देंगे
पहले तुम अकेले थे
अब इक कारवाह है आगे तुम्हारे
तुम अपने फैसले से हारे तो सब हार जाओगे
 
यदि तुम्हे जीतने का जूनून है
तो आगे बढ़ो, बिना मुड़े,
रुको मत
यकीन मानो फिर तुम्हे कोई नहीं हरा सकता !!


रचनाकार : परी ऍम श्लोक

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