Tuesday, February 25, 2014

दिल नहीं मेरे पास

 
दिल नहीं मेरे पास मोहोब्बत कहाँ होगी
लगता है कोई जिंदगी फिर से तबाह होगी

 
मेरी सूरत पे दमकते होंगे बेशक के आफताब
तकदीर कि गलियो में केवल आंधियां होगी
 
मेरे पास दर्द का घर है, मगर एहसास कि दीवारे नहीं
ऐसी भी क्या इस शहर में किसी कि दुनिया होगी

 
रो पड़ोगे बेवजह सुनके दास्तान मेरी
तुम्हारे पास भी कहाँ मेरे तकलीफो कि दवा होगी

 
टूटे हुए ख्वाबो कि चुरखणो को बीन कर
कैसे किसी कि आरज़ू 'श्लोक' फिर  जिन्दा होगी


ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'

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