न जानु मैं
गीत मेरे मीत कोई
ना मीठी मेरी वाणी हैं..
कौन गायेगा अब गीत?
कोयलिया गूंगी हो गयी है..
वो सुर कहाँ से आएगा?
स्वर कौन दे जाएगा?
मीठा बोल कोई क्या पायेगा?
कोयलिया गूंगी हो गयी है..
गर्मियों कि तपती तेज़ दोपहरी में
कूक से सान्तवना मन कैसे पायेगा?
बागीचे के पेड़ के फुंगासे का
आम खाकर तोड़ कौन गिरायेगा?
पात-पात डाली-डाली को
घूम-घूम कौन सहलाएगा?
मौसम कि आनी-जानी का
ब्यौरा कौन साधायेगा?
ढोल-मजीरा हवा को बना
लय में कौन बजायेगा?
दिन उजेरी है या श्याम होने को आयी
कूक-कूक के कौन चेताएगा?
कोयलिया गूंगी हो गयी है....
सन्नाटे कि मनमानी को कौन मिटाएगा?
सोयी आशा कौन जगायेगा?
कल्पनाओ को आस्था के
पंख कौन लगाएगा?
कोयलिया गूंगी हो गयी है.
सून-सून वन रह जाएगा
जब कोई न बांसुरी बजायेगा
कोयल आज बैठी है चुपचाप
अब कौन कूकेगा संग कौन चिढ़ाएगा?
कोयलिया गूंगी हो गयी है.
न जानु मैं
गीत मेरे मीत कोई
कौन गायेगा अब गीत?
कोयलिया गूंगी हो गयी है!!!.
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
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