मुझे खबर भी
न हुई सब
चुरा गया वो
नजाने किस रास्ते
से दिल में
आ गया वो
अब सांस लूँ
तो आये सिर्फ
खुशबु उसकी
सारी कायनात को अपना
बना गया वो
हैं मौसम या
कोई नशा शराब
का है
मेरी आरज़ू के
आस्मां पर छा
गया वो
मेरा बस मुझपे चलता नहीं आजकल
अज़ब सी हालत
मेरी पागल बना
गया वो
मुझे खबर भी
न हुई सब
चुरा गया वो
नजाने किस रास्ते
से दिल में
आ गया वो
....
नज़्म और ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
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