कल रात इत्मीनान
से मैं ग़ज़ल लिखती रही
तेरी अदाएं, तेरी
बातें, तेरी शक्ल लिखती रही
झांकती रही सफ़ेद रोशनी मेरी रोशनदानी से
मैं अंधेरो कि तारीफ
में नज़्म लिखती रही
तस्वीर भी उंकेरी कुछ साफ़ कुछ धुंधली सी
तेरी याद में बेचैनियों
कि अंजुमन लिखती रही
खामोशियाँ कुछ बोली
नहीं कलम चलती गयी
उंगलियो के दम पे
अपनी धड़कन लिखती रही
तुम थे या साया
तुम्हारा पूरी नींद मेरी उड़ा गया
मैं लम्हो कि दीवानगी
कि रिधम लिखती रही
कल
रात इत्मीनान से मैं ग़ज़ल लिखती रही
तेरी हसरत तेरे ख्याल तेरी अहमियत लिखती रही....
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
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