कुछ खोया सा लग रहा है..
कहाँ ढूँढू ?
और
क्या?
यूँ ही बेचैनियाँ
कुताहल मचा रही होंगी!
लेकिन बेवजह
क्या कभी कुछ होता है?
ओह !
तुम्हे नज़र भर क्या देखा?
सब कुछ बदल गया है तबसे..
जिंदगी का मिज़ाज़
खट्टा-मीठा-नमकीन मिलाकर
कुछ नया से स्वाद में
अचानक ही परवर्तित हो गया !
चुरा ले गए तुम
कुछ तो ?
और
मिला गए हो
कोई उन्माद असर ....
बताओ ! बताओ ! बताओ !
तुम ही ये गूढ़ा रहस्य....
आखिर किस वज़ह से हम
चाहकर भी निकल नही पा रहे हैं
बेकाररियो के प्रगाढ़ भवसागर से ?
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
कहाँ ढूँढू ?
और
क्या?
यूँ ही बेचैनियाँ
कुताहल मचा रही होंगी!
लेकिन बेवजह
क्या कभी कुछ होता है?
ओह !
तुम्हे नज़र भर क्या देखा?
सब कुछ बदल गया है तबसे..
जिंदगी का मिज़ाज़
खट्टा-मीठा-नमकीन मिलाकर
कुछ नया से स्वाद में
अचानक ही परवर्तित हो गया !
चुरा ले गए तुम
कुछ तो ?
और
मिला गए हो
कोई उन्माद असर ....
बताओ ! बताओ ! बताओ !
तुम ही ये गूढ़ा रहस्य....
आखिर किस वज़ह से हम
चाहकर भी निकल नही पा रहे हैं
बेकाररियो के प्रगाढ़ भवसागर से ?
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
No comments:
Post a Comment
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!