रास्ते कई निकल आयेंगे सुबह होने दो
किसी मोड़ से हम भी मुड़ जायेंगे सुबह होने दो
तो क्या कश्ती भंवर में आ फसी है
तजुर्बे से किनारे लगाएंगे सुबह होने दो
फूँक से हवाओ ने बुझा दिया हैं चिराग
हम सूरज को अब जलाएंगे सुबह होने दो
दोस्तों ने बहुत रुस्वा किया है हमको 'श्लोक'
दुश्मनो को गले लगाएंगे सुबह होंगे दो
रात भर बैठ के लिखते रहे हैं दास्तान अपनी
हर लव्ज़ से मुखातिब तुम्हे कराएँगे सुबह होने दो
हालातो ने पर मेरे कब के ही काट दिए हैं
हम सारे परिंदे शहर के उड़ाएंगे सुबह होने दो
गम सर पे चढ़ के नाचने लगा हैं आज कल
हर हद तोड़ कर हम मुस्कुराएंगे सुबह होने दो
आइना कहने लगा हैं हमसे कि मुद्दत से तनहा हैं
तुमको ढूंढ कर तुम्ही में छिप जायेंगे सुबह होने हो
देखते हैं कि कौन सा उफान अब तोड़ता हैं हमारा घर
इश्क़ से मुकम्मल हर दीवार बनाएंगे सुबह होने दो
तूफ़ान ले गया था छीन कर उस रोज़ जो कुछ भी
हर हिसाब उससे चुकता करवाएंगे सुबह होने दो
(c) परी ऍम 'श्लोक'
किसी मोड़ से हम भी मुड़ जायेंगे सुबह होने दो
तो क्या कश्ती भंवर में आ फसी है
तजुर्बे से किनारे लगाएंगे सुबह होने दो
फूँक से हवाओ ने बुझा दिया हैं चिराग
हम सूरज को अब जलाएंगे सुबह होने दो
दोस्तों ने बहुत रुस्वा किया है हमको 'श्लोक'
दुश्मनो को गले लगाएंगे सुबह होंगे दो
रात भर बैठ के लिखते रहे हैं दास्तान अपनी
हर लव्ज़ से मुखातिब तुम्हे कराएँगे सुबह होने दो
हालातो ने पर मेरे कब के ही काट दिए हैं
हम सारे परिंदे शहर के उड़ाएंगे सुबह होने दो
गम सर पे चढ़ के नाचने लगा हैं आज कल
हर हद तोड़ कर हम मुस्कुराएंगे सुबह होने दो
आइना कहने लगा हैं हमसे कि मुद्दत से तनहा हैं
तुमको ढूंढ कर तुम्ही में छिप जायेंगे सुबह होने हो
देखते हैं कि कौन सा उफान अब तोड़ता हैं हमारा घर
इश्क़ से मुकम्मल हर दीवार बनाएंगे सुबह होने दो
तूफ़ान ले गया था छीन कर उस रोज़ जो कुछ भी
हर हिसाब उससे चुकता करवाएंगे सुबह होने दो
(c) परी ऍम 'श्लोक'
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