Tuesday, January 7, 2014

समय लूट गया सूती धोती...

कहाँ भाग्य में मोरे मोती
काग खा गया हीरे कि गोटी
दोष तोहरा है और न ही सखी मोरा  
समय लूट गया सूती धोती !

आज माता कुमाता बन गईन
बाप बेच दिहिन लालच मा बेटी
हमरे घर का चूल्हा बुझान
लोग जालाए लिहिन ख़ुशी मा जोति !

कौन अपराध का भोगे खातिर
जनम धरती पर दिहिव रूप नारी
ऐतने जुगत से बटोरेन लज्जा
सास मिटाय दिहिन दय-दय गारी !

सोच-विचार कर मन घबरावे
इ कइसन जुग दउरा चला आवे
पाहिले अहिंसा धर्म का मूल रहा
आज इंसान इंसान नोच खावे !

हर कोई शराब - अफीम मा डूबा
घुमावे के खातिर मांगे महबूबा
नंगा होई गए प्रेम भाव सब
अश्लीशता बन गया नया अजूबा !

सेठ कय कुकुर नीक-नेउर खाय
नन्कू कये बिटिया भूखी सोया जाए
कोई महल बनाय रहत दस कमरा में
कई चिथरा पहिने फूटपाथ पर जीवन बिताय !

हमरे कलम कए धार है नोकी
पन्ना पर सब सच ही सच झोकी
गाड़ दियो ज़मीन मा सोचे कि क्षमता
या दई दियो नेकी का बादर कए चोटी !


Written By : Pari M 'Shlok'
Dated : 08/01/2014

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