जिसको चाहत है वो कैसे भी ठहर जाएगा,
जिसको नफरत है वो बस खेल कर मुड़ जाएगा
जिंदगी आखिरी पल तक का सफ़र है यारो
कोई मिलेगा राह में तो कोई दिल छू के बिछुड़ जाएगा
फूल खिलेगा, महकेगा फिर कुछ पहर में सूख के गिर जाएगा
सितारा टूटकर भी आकाश में यूँ के यूँ ही झिलमिलाएगा
कोई जख्म कुरेद देगा तो कोई मलहम लगाने आएगा
वो फरिश्ता ही होगा पीर का जो गम में आकर सहलाएगा
वजह ही ढूँढता है हर आदमी कोई रिश्ता निभाने को
कोई दलदल में ढ़केल जाएगा कोई कीचड़ से उठा ले जाएगा
पूजने लगते हैं इक इंसान को परमेश्वर कि तरह हम
खबर होती है बाखूब कि वो 'माँ' जैसे तो कभी ना बन पायेगा
ख्यालो का क्या है "श्लोक" जिस पल चाहे करवट बदल लेता है
वरना
सपना तो मेरा भी था इक राजकुमार कुदरती लालियां मेरे मांग में सजायेगा!!
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 23rd Jan, 2014
जिसको नफरत है वो बस खेल कर मुड़ जाएगा
जिंदगी आखिरी पल तक का सफ़र है यारो
कोई मिलेगा राह में तो कोई दिल छू के बिछुड़ जाएगा
फूल खिलेगा, महकेगा फिर कुछ पहर में सूख के गिर जाएगा
सितारा टूटकर भी आकाश में यूँ के यूँ ही झिलमिलाएगा
कोई जख्म कुरेद देगा तो कोई मलहम लगाने आएगा
वो फरिश्ता ही होगा पीर का जो गम में आकर सहलाएगा
वजह ही ढूँढता है हर आदमी कोई रिश्ता निभाने को
कोई दलदल में ढ़केल जाएगा कोई कीचड़ से उठा ले जाएगा
पूजने लगते हैं इक इंसान को परमेश्वर कि तरह हम
खबर होती है बाखूब कि वो 'माँ' जैसे तो कभी ना बन पायेगा
ख्यालो का क्या है "श्लोक" जिस पल चाहे करवट बदल लेता है
वरना
सपना तो मेरा भी था इक राजकुमार कुदरती लालियां मेरे मांग में सजायेगा!!
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 23rd Jan, 2014
No comments:
Post a Comment
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!