चिंगारी भड़क उठी है मुझमे, आग तुमने लगायी है
घुटन से झूझती हुई 'सभ्यता' कि परछाई है
अस्मिता औरत का था जो इक वक़्त पर जान से अज़ीज़
वैश्याएं उन्ही को चीज़ सा हर जगह बेच आयी हैं
स्कूलो में किताब सैक्स कि अब नयी लगवायी है
नैतिकशिक्षा के टुकड़े चौराहो पर बहायी है
निकल आयी मेरे जुबान से हाय ! ये देख कर
कल के बच्चे ने आज नयी गर्ल फ्रैंड बनायीं है
गुजर जाती है सन से हवा संग खौफ लायी है
जाने क्यूँ मेरी हिम्मत लगती मुझको जंगाई है
बन्द कर लेते हैं दरवाजा गली में तमाशा देख
कलयुग के आदमी कि नीयत बिलकुल भेड़ियाई है
यूँ तो आसान बहुत इंटरनेट से कमाई है
दुनिया सोशल नेटवर्किंग से बहुत पास आयी है
उलझा जो इसकी लत में तो हासिल दहशत हुआ
लटका हुआ पंखे से देखो नीना का भाई है
देखो ये क़यामत चल के पच्छिम से आयी है
सूरज कि लाली डूबी लाइट जगमगायी है
जहन पर छोड़ता है चमक अपने पहनावे का
मेरी मुनिया भी मिनी स्कर्ट के पीछे बौराई है
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
घुटन से झूझती हुई 'सभ्यता' कि परछाई है
अस्मिता औरत का था जो इक वक़्त पर जान से अज़ीज़
वैश्याएं उन्ही को चीज़ सा हर जगह बेच आयी हैं
स्कूलो में किताब सैक्स कि अब नयी लगवायी है
नैतिकशिक्षा के टुकड़े चौराहो पर बहायी है
निकल आयी मेरे जुबान से हाय ! ये देख कर
कल के बच्चे ने आज नयी गर्ल फ्रैंड बनायीं है
गुजर जाती है सन से हवा संग खौफ लायी है
जाने क्यूँ मेरी हिम्मत लगती मुझको जंगाई है
बन्द कर लेते हैं दरवाजा गली में तमाशा देख
कलयुग के आदमी कि नीयत बिलकुल भेड़ियाई है
यूँ तो आसान बहुत इंटरनेट से कमाई है
दुनिया सोशल नेटवर्किंग से बहुत पास आयी है
उलझा जो इसकी लत में तो हासिल दहशत हुआ
लटका हुआ पंखे से देखो नीना का भाई है
देखो ये क़यामत चल के पच्छिम से आयी है
सूरज कि लाली डूबी लाइट जगमगायी है
जहन पर छोड़ता है चमक अपने पहनावे का
मेरी मुनिया भी मिनी स्कर्ट के पीछे बौराई है
रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'
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