तुम हो तो बहारे रहती हैं साथ मौसम के
तुम हो तो हर सफ़र जिंदगी का खूबसूरत है
आँखों के दरख्तो से जुबां के हर लव्ज़ में
दिल को चीर के देख बस तेरी ही सूरत है
खुदा लेले सारी खुशियां तुमको देने के एवज़ में
मुझे तो सांस भी लेने के लिए तेरी ज़रूरत है
गुजरता नहीं कोई लम्हा बिन तेरे दीदार के
रात तन्हाई कि लगे जैसे कोई क़यामत हैं
बुलंदियां आसमान कि नहीं चाहिए मुझे 'श्लोक'
जहाँ तू है वही आशियाना हैं मेरी जन्नत हैं
जाने क्यूँ तू समझ के भी समझ नहीं पाता
मुझे भी नही खबर क्यूँ इसकदर तुझसे मोहोब्बत है
कुछ नहीं सूझता बस तू ही रवां है हर लहज़े में
तू बेचैनियों कि राहत है मुझको तेरी आदत है
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 28th Jan, 2014
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