ये दुनिया इतनी झूठी है दिखावे कि दीवानी है
आँखो से लहू निकला वो बोल बैठे कि पानी है
जरकन कि चमक देखा खरीद लिया समझ हीरा
तजुर्बे कि कमी है ये या फिर उम्र कि नादानी है
नज़रिये का फेर है यारो बात और कुछ भी नहीं है
किसी कि सीरत से यारी है किसी को सूरत प्यारी है
नुमाइश ही तो करती है ये कोठियाँ अमीरो कि
अंदर झाँख कर देखो फकीरो से भी भिखारी हैं
किसके बीच साबित करूँ अपनी हुनर कि शोखियाँ
जिसकी जेब खनकती हैं आज वही तो ज्ञानी है
लदा है बारूद सीने में जुबां पर प्रेम कि बानी है
बेमान वक़्त के कब्र में दफ़न हर सच्ची कहानी है
मिलता नहीं ग़ज़लो को भी अखबारों में पहला पेज,
बंद किसी डायरी कि 'श्लोक ' से ये शिकायत पुरानी है
ग़ज़लकार: परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 07th Jan, 2014
आँखो से लहू निकला वो बोल बैठे कि पानी है
जरकन कि चमक देखा खरीद लिया समझ हीरा
तजुर्बे कि कमी है ये या फिर उम्र कि नादानी है
नज़रिये का फेर है यारो बात और कुछ भी नहीं है
किसी कि सीरत से यारी है किसी को सूरत प्यारी है
नुमाइश ही तो करती है ये कोठियाँ अमीरो कि
अंदर झाँख कर देखो फकीरो से भी भिखारी हैं
किसके बीच साबित करूँ अपनी हुनर कि शोखियाँ
जिसकी जेब खनकती हैं आज वही तो ज्ञानी है
लदा है बारूद सीने में जुबां पर प्रेम कि बानी है
बेमान वक़्त के कब्र में दफ़न हर सच्ची कहानी है
मिलता नहीं ग़ज़लो को भी अखबारों में पहला पेज,
बंद किसी डायरी कि 'श्लोक ' से ये शिकायत पुरानी है
ग़ज़लकार: परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 07th Jan, 2014
No comments:
Post a Comment
मेरे ब्लॉग पर आपके आगमन का स्वागत ... आपकी टिप्पणी मेरे लिए मार्गदर्शक व उत्साहवर्धक है आपसे अनुरोध है रचना पढ़ने के उपरान्त आप अपनी टिप्पणी दे किन्तु पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता के साथ..आभार !!