मैंने सीखा नहीं सलीखा नफरत करने का
मोहोब्बत भी अब अपने बस कि बात नहीं रही
दर्द बन गयी है महबूबा मेरे धधकते दिन कि 'श्लोक'
हरजाई नींद गले लगाए ऐसी कोई रात नहीं रही
किस वास्ते बक्शे हम उसे शिकायतो का तोहफ़ा
कुछ पा सके हमसे अब उसकी औक़ात नहीं रही
भिगाया बेवफ़ाई ने हमें रूह तक इस कदर
सेहरा कि जलती रेत को ज़रा भी प्यास नहीं रही
(c) परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 09/01/2014
मोहोब्बत भी अब अपने बस कि बात नहीं रही
दर्द बन गयी है महबूबा मेरे धधकते दिन कि 'श्लोक'
हरजाई नींद गले लगाए ऐसी कोई रात नहीं रही
किस वास्ते बक्शे हम उसे शिकायतो का तोहफ़ा
कुछ पा सके हमसे अब उसकी औक़ात नहीं रही
भिगाया बेवफ़ाई ने हमें रूह तक इस कदर
सेहरा कि जलती रेत को ज़रा भी प्यास नहीं रही
(c) परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 09/01/2014
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