इन हवाओ से साज़िशों कि बू आती है
किसी बहाने से जो मिलने तू आती है
कोई शक है तो इतिहास का पन्ना पलट के देख
अपनों के फरेब से तो सल्तनत भी पलट जाती है
किसी दीवाने को मार कर ताकत कि आजमाइश कैसी
मोहोब्बत के नाम पर तो आबरू तक उतर जाती है
कुछ अरमां कहानियो कि बन्दिश में रहने दो 'श्लोक'
परिंदे से ये ख्वाब दुनियाँ कि जालसाज़ी में फस के मर जाती हैं
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 22nd Jan, 2014
किसी बहाने से जो मिलने तू आती है
कोई शक है तो इतिहास का पन्ना पलट के देख
अपनों के फरेब से तो सल्तनत भी पलट जाती है
किसी दीवाने को मार कर ताकत कि आजमाइश कैसी
मोहोब्बत के नाम पर तो आबरू तक उतर जाती है
कुछ अरमां कहानियो कि बन्दिश में रहने दो 'श्लोक'
परिंदे से ये ख्वाब दुनियाँ कि जालसाज़ी में फस के मर जाती हैं
ग़ज़लकार : परी ऍम 'श्लोक'
Dated : 22nd Jan, 2014
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