Friday, January 17, 2014

नहीं चाहिए मुझे.....

जब भी कम होगी नमी
आँखों कि बता दूंगी
खुश रहना भूल गयी हूँ
फिर कभी हस के दिखा दूंगी....

नहीं चाहिए दीवाने दिल के लिए
तसल्ली हमें आपकी
चोट अब कितनी भी गहरी हो
ठेंगा दिखा दूंगी ....

बदनसीब  होंगी बरबादियाँ
जो मेरे घर का रुख करेंगी
सारी बिखरी हसरतो से
उसे रुबरु करवा दूंगी...

जाते हो तो जाओ ना
यूँ पलट के उम्मीद ना रोशन करो
फिर अधजली सी जिंदगी का
आखिरी दिया भी बुता दूंगी...
 
तुम नहीं तो ये हुजूम भी
नहीं चाहिए मुझे बाशिंदो का
तमाम उम्र तन्हाईयो कि
बाजुओ में सिमट के बिता लूंगी...


रचनाकार : परी ऍम 'श्लोक'

 

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